
14 मार्च की शाम दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लगती है। पहली नजर में सब कुछ आम-सा लगता है, लेकिन जैसे ही दमकल वाले आग बुझाते हैं, उन्हें घर के एक कमरे से भारी मात्रा में जला हुआ कैश मिलता है। अब मामला सिर्फ फायर ब्रिगेड तक नहीं, सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच जाता है। क्योंकि आग में जलती हुई छत नहीं, जज साहब की साख थी!
बिहार कांग्रेस: राहुल के या गाँव के राजा के? देखीं राजनीति के असली ड्रामा!
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की जासूसी कमेटी बना दी
सीजेआई संजीव खन्ना ने इस पूरे घटनाक्रम को हल्के में न लेकर 22 मार्च को तीन सीनियर जजों की एक जांच समिति गठित कर दी। इस कमेटी में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावलिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन को शामिल किया गया। अब न्यायपालिका ही न्यायपालिका की छानबीन करने लगी—जैसे खुद ही घर का CCTV बन गए हों!
रिपोर्ट का खुलासा: “गलत व्यवहार हुआ, भाई!”
चार मई को रिपोर्ट तैयार हुई और आठ मई को इसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया कि जस्टिस वर्मा का व्यवहार गलत और संदिग्ध पाया गया है। यानी कमेटी ने अपना ‘ज्यूडिशियल कैलकुलेटर’ लगाकर कह दिया—“मैटर सिरियस है।” रिपोर्ट में जले हुए नोटों का, गवाहों का, और स्टाफ की गतिविधियों का पूरा हिसाब-किताब बताया गया।
55 गवाह, कई सबूत और ‘नो जवाब’
जांच कमेटी ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें से कई ने चौंकाने वाली जानकारियाँ दीं। जिस कमरे में कैश जलकर राख हुआ, वह सीधे जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के कंट्रोल में था। लेकिन मजेदार बात ये कि जज साहब ने खुद इस कैश के बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ऊपर से, उनके PA राजेन्द्र कार्की ने दमकल कर्मियों को कहा—”भाई साहब, रिपोर्ट में कैश का जिक्र मत करना!” अब इससे बड़ा क्लासिक ‘कैश-क्लीनअप ऑपरेशन’ क्या होगा?
सबूत गायब करने की स्पीड थी ‘5G’ से तेज़
15 मार्च की सुबह होते ही देखा गया कि जले हुए सारे नोट कमरे से गायब हो गए थे। पूछताछ में सामने आया कि जस्टिस वर्मा के स्टाफ के दो लोग — राजेन्द्र कार्की और हनुमान प्रसाद शर्मा — उन नोटों को हटा चुके थे। मतलब आग बुझी नहीं, और सबूत फटाफट “आशाराम बाबू की सीडी” की तरह गायब!
अग्निपरीक्षा से ‘अग्निकांड’ तक
कमेटी की जांच में यह बात साफ हो गई कि ये मामला सिर्फ आग लगने का नहीं, बल्कि “कैश की चोरी या छुपाने” की योजना का हिस्सा हो सकता है। और जब घर की चारदीवारी में ‘कैश करप्शन’ जलता मिले, तो ये सिर्फ आग नहीं, ‘कुर्सी हिलाने’ वाली चिंगारी बन जाती है।
अब क्या? संसद में आएगा महाभियोग?
रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक पहुंच चुकी है, और संकेत हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो ये देश के इतिहास में एक बड़ा केस बन जाएगा — “कैश फॉर करप्शन, अग्नि एडीशन!”
जज का घर जले तो धुआं पूरे सिस्टम में फैलता है
ये मामला सिर्फ एक व्यक्ति या आग की घटना नहीं है। ये हमारी न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता की अग्निपरीक्षा है। और इस बार तो कैश ने खुद जलकर गवाही दे दी कि “कुछ तो गड़बड़ है, दया जी!”
Operation Sindhu में 110 Students Safe, Trump बोले – ‘Modi is Great